नई दिल्ली : देशभर में बेरोजगारी को लेकर जोर शोर से चर्चा होती रहती है. ऐसे में इससे जुड़ी बडी एक ऐसी खबर सामने आई है, जिससे सरकार को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी. देश के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office) ने बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जारी करते हुए जानकारी दी है और बताया है कि शहरी क्षेत्रों में 15 साल और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर अबकी साल जुलाई-सितंबर के महीने में सालाना आधार पर घटकर 7.2 प्रतिशत पर पहुंच गई हैं. जबकि एक साल पहले 2021 में इसी समय में बेरोजगारी दर 9.8 प्रतिशत के करीब थी. इन आंकड़ों में बेरोजगारी दर को श्रमबल के बीच बेरोजगार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित करने की कोशिश की गयी है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, 15 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर जुलाई-सितंबर 2022 में एक साल पहले के 9.8% और पिछली तिमाही में 7.6% से घटकर 7.2% हो गई. यह काफी राहत भरी खबर है.
बेरोजगारी दर पुरुषों में 6.6% और महिलाओं में 9.4% थी. जुलाई-सितंबर 2021 में यह क्रमशः 9.3% और 11.6% थी. इन आंकड़ों में बेरोजगारी अनुपात को श्रम बल में शामिल व्यक्तियों के बीच बेरोजगार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है. अबकी बार श्रमिक-जनसंख्या अनुपात (WPR) में भी पिछले वर्ष की तुलना में मामूली वृद्धि देखी गई. WPR (Worker Population Ratio) को जनसंख्या में नियोजित व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है.
देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए शहरी क्षेत्रों में डब्ल्यूपीआर जुलाई-सितंबर 2022 में 44.5% था, जो 2021 में इसी अवधि में 42.3% था. अप्रैल-जून 2022 में यह 43.9% था. पुरुषों के बीच डब्ल्यूपीआर 68.6% था जबकि महिलाओं में 19.7% मिला है. यही आंकड़ा पिछले साल 2021 में यह क्रमशः 66.6% और 17.6% था.
श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate), शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रम बल में उन लोगों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित है, जो काम कर रहे हैं या काम मांग रहे हैं या फिर काम के लिए उपलब्ध हैं. यह आंकड़ा जुलाई सितंबर 2022 में बढ़कर 47.9% हो गया था. पिछले साल 2021 में इसी अवधि में यह केवल 46.9% था, जबकि इसी साल अप्रैल-जून 2022 में यह 47.5% था.
आपको बता दें कि हमारे देश में वर्ष 2021 में कोविड-19 महामारी से जुलाई-सितंबर माह में प्रतिबंधों के कारण बेरोजगारी दर काफी अधिक रही थी. लेकिन जैसे जैसे देश में हालत सामान्य होते जा रहे हैं. वैसे वैसे बेरोजगारी दर में गिरावट आती जा रही है. श्रमबल सर्वेक्षण पर आधारित गुरुवार को आए ताज़ा आंकड़े इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि कोरोना महामारी के प्रभाव से निकलकर अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार होने लगा है.
बेरोजगार भारत का दौर अब बदल रहा है. अशोका यूनिवर्सिटी के अनुसार पुरुषों में इस साल एलएफपीआर 73.4% और महिलाओं में 21.7% थी, जबकि 2021 में, यह क्रमशः 73.5% और 19.9% था.
सेंटर फॉर इकोनॉमिक डेटा एंड एनालिसिस (Centre for Economic Data and Analysis) ने गुरुवार को देश की गिरती महिला LFPR को संबोधित करने के लिए एक पहल शुरू करते हुए कहा है कि पिछले दो दशकों में, महिलाओं की शैक्षिक उपलब्धि में वृद्धि के बावजूद उनके LFPR में लगातार गिरावट आई है. यह एक अच्छा संकेत है.
आईटी और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नौकरी के नुकसान और बढ़ती बेरोजगारी पर टिप्पणी करते हुए, वाणिज्य मंत्री ने कहा कि इसके विपरीत ईपीएफओ के आंकड़ों के अनुसार नौकरियों में वृद्धि होने के कारण भारत के रोजगार बाजार में तेजी देखी जा रही है. नौकरियां बढ़ रही हैं, जैसा कि ईपीएफओ के आंकड़ों से भी पता चलता है. अगर आप इसे सिर्फ सरकारी नौकरियों के रूप में देखें, तो इसकी एक सीमा है, लेकिन आज का युवा नए रास्ते की तलाश में है.
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